क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं, भावनाओं, संबंधों और मानवीय पहलुओं का संगम भी है। लेकिन कभी-कभी यही खेल कुछ ऐसी घटनाओं का गवाह बन जाता है जो खिलाड़ियों के करियर पर दाग छोड़ जाती हैं — जैसे कि 2008 का वो विवादित दिन, जब आईपीएल के एक मुकाबले के बाद हरभजन सिंह ने एस श्रीसंत को थप्पड़ मार दिया था।
आज इस घटना को 18 साल हो चुके हैं, लेकिन हरभजन सिंह के दिल से उसका बोझ अब तक नहीं हटा है। भले ही उन्होंने बार-बार सार्वजनिक रूप से माफी मांगी हो, पर वो इस बात को भूल नहीं पाए। हाल ही में रविचंद्रन अश्विन के शो ‘कुट्टी स्टोरीज’ में इस घटना पर बोलते हुए हरभजन इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखें नम हो गईं।
हरभजन ने कहा – “काश उस दिन को मिटा सकता”
अश्विन ने जब हरभजन से पूछा कि अगर आपको अपने जीवन से कोई एक चीज़ बदलनी हो तो वो क्या होगी, तो भज्जी ने बिना झिझक जवाब दिया:
“एक चीज जो मैं बदलना चाहता हूं, वह श्रीसंत वाली घटना है। मैं उस दिन को अपनी ज़िंदगी से मिटा देना चाहता हूं। वो मेरी सबसे बड़ी गलती थी। मैंने 200 बार माफी मांगी है, फिर भी वो गिल्ट आज तक मेरे साथ है।”
हरभजन ने माना कि भावनाओं में बहकर उन्होंने जो किया, वह किसी भी रूप में सही नहीं था। उन्होंने कहा कि भले ही उस वक्त श्रीसंत ने उन्हें उकसाया हो, लेकिन एक सीनियर खिलाड़ी होने के नाते उन्हें संयम बरतना चाहिए था।
“एक गलती, जो हमेशा मेरे साथ रहेगी”
हरभजन ने इंटरव्यू में कहा कि लोग अकसर खिलाड़ियों को सुपरहीरो समझते हैं, लेकिन खिलाड़ी भी इंसान होते हैं। उनसे भी गलतियां होती हैं। उन्होंने कहा:
“हम सभी गलतियां करते हैं, लेकिन हमें कोशिश करनी चाहिए कि उन्हें दोहराएं नहीं। श्रीसंत मेरा टीममेट था। उस मैच में हम विरोधी टीमों में थे, पर इसका मतलब ये नहीं कि मैं इंसानियत भूल जाऊं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि घटना के इतने सालों बाद भी हर बार जब उनसे यह सवाल पूछा जाता है, तो वो माफी मांगते हैं। और यही सबसे ज्यादा उन्हें दुख पहुंचाता है कि लोग उस गलती को भुला नहीं पाए।
श्रीसंत की बेटी से मुलाकात – एक भावुक मोड़
इंटरव्यू का सबसे भावुक पल तब आया, जब हरभजन ने श्रीसंत की बेटी से हुई एक मुलाकात का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया:
“मैं एक बार श्रीसंत की बेटी से मिला। मैं उससे बहुत प्यार से बात कर रहा था, लेकिन उसने कहा, ‘मैं तुमसे बात नहीं करना चाहती, तुमने मेरे पापा को मारा था।’ मेरा दिल टूट गया। मैं वहीं खामोश हो गया, और आंखों में आंसू थे। उस वक्त मुझे एहसास हुआ कि मेरी एक गलती ने कितनों को प्रभावित किया है।”
हरभजन ने कहा कि वह पल उनके लिए सबसे ज्यादा दर्दनाक था। वो नहीं चाहते थे कि कोई बच्चा उन्हें उस नजर से देखे जो उन्होंने नहीं बनना चाहा था। उन्होंने कहा कि अगर भविष्य में श्रीसंत की बेटी उन्हें ‘भज्जी चाचा’ के रूप में देखे, तो वो खुद को सफल इंसान मानेंगे।
“काश वो दिन कभी हुआ ही न होता”
हरभजन ने अपने अनुभव से सीख लेते हुए कहा:
“आज मैं जब उस घटना को याद करता हूं, तो सिर्फ पछतावा होता है। मैं सोचता हूं कि क्या मैं समय को पीछे ले जा सकता हूं? क्या मैं उस दिन को हटा सकता हूं? काश ऐसा हो सकता।”
उन्होंने सभी युवा खिलाड़ियों को यह संदेश दिया कि मैदान पर चाहे जितना भी तनाव हो, संयम और अनुशासन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि एक छोटी-सी गलती भविष्य की छवि को हमेशा के लिए बदल सकती है।
निष्कर्ष: इंसानियत ही असली जीत
हरभजन सिंह का यह खुलासा हमें यह याद दिलाता है कि खिलाड़ी भी आम इंसानों की तरह भावनाओं से भरे होते हैं। उन्होंने जो गलती की, वो स्वीकार की, बार-बार माफी मांगी, और अब भी उसका बोझ उनके दिल में है। यह बयान एक सच्चे खिलाड़ी और बेहतर इंसान की निशानी है, जो अपनी गलतियों को स्वीकार कर उनके परिणामों से सीखता है।
आईपीएल 2008 की वो घटना भले ही इतिहास बन गई हो, लेकिन हरभजन सिंह की यह विनम्रता और पश्चाताप हमें यह सिखाती है कि सच्चा बड़ा इंसान वही होता है, जो अपने दोष माने और उनसे कुछ बेहतर बनने की कोशिश करे।