उत्तराखंड में बिजली दरों को लेकर अहम प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रदेश के तीनों ऊर्जा निगमों—उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल), उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) और पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल)—द्वारा भेजे गए टैरिफ प्रस्तावों की जांच के दौरान उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को इनमें कुछ कमियां और अस्पष्टताएं नजर आई हैं. इसके चलते आयोग ने तीनों निगमों को पत्र भेजकर बिंदुवार जवाब मांगा है. आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी ऊर्जा निगम 17 दिसंबर तक अपना स्पष्टीकरण अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करें.
आयोग के स्तर पर यह प्रक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इन्हीं प्रस्तावों के आधार पर आने वाले वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए प्रदेश में बिजली की नई दरें तय की जाएंगी. यदि प्रस्तावों में किसी भी तरह की त्रुटि या अधूरी जानकारी रहती है, तो उसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है.
बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव
ऊर्जा निगमों की ओर से नियामक आयोग को भेजे गए प्रस्तावों के अनुसार, इस बार बिजली दरों में कुल मिलाकर करीब 18.50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है. यूपीसीएल ने अपने टैरिफ प्रस्ताव में 16.23 प्रतिशत तक दरें बढ़ाने की मांग की है. यूपीसीएल का तर्क है कि बिजली खरीद लागत, लाइन लॉस, रखरखाव खर्च और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं देने के लिए यह बढ़ोतरी जरूरी है.
वहीं पिटकुल ने लगभग तीन प्रतिशत टैरिफ वृद्धि का प्रस्ताव दिया है. पिटकुल का कहना है कि ट्रांसमिशन नेटवर्क के विस्तार, आधुनिकीकरण और नई लाइनों के निर्माण में बढ़ते खर्च को देखते हुए टैरिफ में मामूली बढ़ोतरी आवश्यक है.
ऋणात्मक टैरिफ का चौंकाने वाला प्रस्ताव
इस बार सबसे चौंकाने वाला प्रस्ताव उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) की ओर से सामने आया है. यूजेवीएनएल ने पहली बार ऋणात्मक यानी माइनस 1.2 प्रतिशत टैरिफ का प्रस्ताव भेजा है. इसका मतलब यह है कि निगम आगामी वित्तीय वर्ष में किसी भी तरह की दर वृद्धि की मांग नहीं कर रहा है, बल्कि टैरिफ में कमी का संकेत दे रहा है.
नियामक आयोग के अधिकारियों के अनुसार, यह प्रस्ताव अप्रत्याशित है और इसकी गहन समीक्षा की जा रही है. ऋणात्मक टैरिफ का अर्थ यह भी है कि यूजेवीएनएल की वित्तीय स्थिति या बिजली उत्पादन से होने वाली आय अपेक्षाकृत बेहतर हो सकती है. हालांकि, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस प्रस्ताव के पीछे दिए गए सभी आंकड़े और तर्क पूरी तरह सही और पारदर्शी हों.
प्रस्तावों की समयसीमा और जांच
टैरिफ प्रस्ताव जमा करने की समयसीमा की बात करें तो यूजेवीएनएल और पिटकुल ने 30 नवंबर से पहले ही अपने प्रस्ताव नियामक आयोग को सौंप दिए थे. वहीं यूपीसीएल ने लगभग 9 दिसंबर को अपना प्रस्ताव दाखिल किया. तीनों प्रस्तावों का अध्ययन करने के बाद आयोग को कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत महसूस हुई, जिसके चलते निगमों को पत्र भेजे गए हैं. आयोग का कहना है कि जब तक सभी सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिल जाते, तब तक इन प्रस्तावों को औपचारिक याचिका के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा.
जनसुनवाई के बाद होगा अंतिम फैसला
जब सभी जरूरी जानकारियां और स्पष्टीकरण आयोग को मिल जाएंगे, उसके बाद टैरिफ प्रस्तावों को याचिका के रूप में स्वीकार किया जाएगा. इसके बाद फरवरी माह में उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जनसुनवाई आयोजित की जाएगी. इस जनसुनवाई में आम उपभोक्ताओं, सामाजिक संगठनों, उद्योग प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों को अपनी राय रखने का मौका मिलेगा.
जनसुनवाई और विस्तृत वित्तीय विश्लेषण के बाद आयोग वित्तीय वर्ष 2026-27 के लिए नई बिजली दरों की घोषणा करेगा. ये दरें एक अप्रैल से पूरे प्रदेश में लागू होंगी. ऐसे में आने वाले महीनों में बिजली उपभोक्ताओं की निगाहें नियामक आयोग के फैसले पर टिकी रहेंगी, क्योंकि इसका सीधा असर आम लोगों की जेब और उद्योगों की लागत पर पड़ने वाला है.