वॉशिंगटन – अमेरिकी सरकार ने बुधवार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ऐसे विदेशी नागरिकों पर वीजा बैन लगाने का ऐलान किया है, जो अमेरिकी नागरिकों की सोशल मीडिया पोस्ट को सेंसर करने में शामिल पाए गए हैं। अमेरिका इस तरह का कदम उठाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। इस निर्णय का मकसद वैश्विक मंच पर अमेरिकी नागरिकों की स्वतंत्रता और डिजिटल अभिव्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
सोशल मीडिया सेंसरशिप पर कार्रवाई
विदेश मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर कोई विदेशी अधिकारी अपने देश में अमेरिकी नागरिक को धमकी देता है, गिरफ्तार करता है या दंड की चेतावनी देकर उसकी सोशल मीडिया पोस्ट हटवाने की कोशिश करता है, तो यह पूरी तरह अस्वीकार्य होगा। ऐसे मामलों में संबंधित विदेशी अधिकारी का वीजा तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाएगा।
यह फैसला उन अधिकारियों पर भी लागू होगा जो अमेरिकी टेक कंपनियों से पोस्ट हटवाने की मांग करते हैं, चाहे पोस्ट उन्हें अपमानजनक ही क्यों न लगे। अमेरिका का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक संवैधानिक अधिकार है, और उसे सीमाओं से बाहर भी संरक्षित किया जाना चाहिए।
क्या बोले रुबियो?
अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने इस वीजा बैन नीति को लेकर कहा:
“यह नया नियम उन विदेशी नागरिकों पर लागू होगा जो अमेरिका में फ्री स्पीच को सेंसर करने के प्रयास में लिप्त हैं। यदि कोई अमेरिकी नागरिक अमेरिकी धरती से कोई विचार व्यक्त करता है, तो किसी विदेशी सरकार को यह अधिकार नहीं है कि वह उस पोस्ट को हटाने की मांग करे। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है।”
इस फैसले के पीछे स्पष्ट संदेश यह है कि अमेरिका वैश्विक स्तर पर डिजिटल अधिकारों की रक्षा करने के लिए तैयार है, और विदेशी दखल को बर्दाश्त नहीं करेगा।
वीजा पर नई सख्ती: चीनी छात्रों पर भी कार्रवाई
इससे पहले मंगलवार को अमेरिका ने विदेशी छात्रों के वीजा इंटरव्यू पर नई रोक लगाने का भी ऐलान किया था। विदेश मंत्री द्वारा जारी आदेश के अनुसार, यह कदम अमेरिकी विश्वविद्यालयों में यहूदी विरोध और वामपंथी उग्र विचारधारा के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।
दूतावासों को निर्देश दिए गए हैं कि वे फिलहाल नए स्टूडेंट वीजा इंटरव्यू शेड्यूल न करें। इसके साथ ही ट्रंप सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अमेरिका आने वाले छात्रों की सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच और कड़ी की जाएगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे अमेरिका की मूल विचारधाराओं के अनुरूप हैं या नहीं।
चीनी छात्रों का वीजा रद्द
बुधवार को अमेरिका ने चीनी छात्रों के वीजा रद्द करने की भी घोषणा कर दी है। यह फैसला कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े छात्रों पर लागू होगा। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि कई चीनी छात्र अमेरिका में रहकर प्रोपेगेंडा फैलाने और संवेदनशील तकनीक तक पहुंच बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
यह कदम अमेरिका और चीन के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक प्रभावित कर सकता है। लेकिन अमेरिका ने साफ किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।
क्या हैं इसके दूरगामी प्रभाव?
इस पूरे घटनाक्रम के कई अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं:
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वैश्विक टेक प्लेटफॉर्म्स अब सरकारों से पोस्ट हटाने की मांग को लेकर सावधान रहेंगे।
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विदेशी सरकारों पर दबाव बढ़ेगा कि वे अमेरिकी नागरिकों की पोस्ट को सेंसर करने की मांग न करें।
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चीन-अमेरिका संबंधों में और खटास आ सकती है, खासकर शैक्षणिक और तकनीकी क्षेत्रों में।
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अन्य देश भी अमेरिका की तर्ज पर डिजिटल फ्रीडम संरक्षण नीतियों की शुरुआत कर सकते हैं।
निष्कर्ष
अमेरिका के इस फैसले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वैश्विक सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में देखा जा रहा है। सोशल मीडिया सेंसरशिप और विदेशी हस्तक्षेप को रोकने के लिए जो सख्ती दिखाई गई है, वह भविष्य में डिजिटल डिप्लोमेसी और वैश्विक इंटरनेट स्वतंत्रता की दिशा तय कर सकती है।
अब देखना होगा कि इस फैसले पर अन्य देशों की क्या प्रतिक्रिया आती है और क्या वे भी अमेरिका की तरह अपने नागरिकों के डिजिटल अधिकारों की सुरक्षा के लिए ऐसे नियम लागू करने की ओर बढ़ते हैं या नहीं।