मध्य पूर्व में भड़की जंग की आग अब वैश्विक मंच पर फैलती जा रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण की धमकी दिए जाने के बाद ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बेहद सख्त और प्रतीकात्मक पोस्ट शेयर कर इजरायल और अमेरिका को चेतावनी दी है। खामेनेई के इस पोस्ट ने न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरे विश्व को सतर्क कर दिया है।
ट्रंप की धमकी और उसका जवाब
डोनाल्ड ट्रंप ने जी-7 समिट से लौटने के बाद व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ 90 मिनट लंबी रणनीतिक बैठक की। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर ईरान को सीधे ललकारते हुए कहा कि "अब समय आ गया है कि ईरान बिना किसी शर्त के सरेंडर करे।" साथ ही ट्रंप ने यह भी दावा किया कि अमेरिका को ईरान के हवाई क्षेत्रों की पूरी जानकारी है और वहां की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।
इस बयान ने पहले से ही तनावग्रस्त हालात को और अधिक ज्वलनशील बना दिया। इसके तुरंत बाद ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने फारसी भाषा में एक प्रतीकात्मक लेकिन गंभीर पोस्ट किया जिसने सबका ध्यान खींचा।
'अली खैबर लौट आए हैं' - क्या है इसका मतलब?
ईरान इंटरनेशनल न्यूज आउटलेट के मुताबिक, खामेनेई द्वारा साझा किए गए पोस्ट में लिखा गया है, "अली खैबर लौट आए हैं।"
यह वाक्य कोई सामान्य बयान नहीं है, बल्कि एक ऐतिहासिक और धार्मिक संकेत है। यह कथन शिया इस्लाम के पहले इमाम अली और सातवीं शताब्दी में खैबर नामक यहूदी किले पर हुई जीत का संदर्भ है। खैबर की लड़ाई में इमाम अली ने तलवार से दुश्मनों को हराया था और इसे इस्लामी गौरव की बड़ी विजय माना जाता है।
खामेनेई की यह पोस्ट दर्शाती है कि वे इस युद्ध को सिर्फ राजनीतिक या सैन्य संघर्ष नहीं, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक प्रतिशोध के रूप में भी देख रहे हैं।
तलवार, आग और चेतावनी का प्रतीकात्मक संदेश
इस पहले पोस्ट के कुछ समय बाद, खामेनेई ने एक और पोस्ट शेयर किया, जिसमें एक योद्धा हाथ में तलवार लिए महल की ओर बढ़ रहा है और आकाश से आग की लपटें गिर रही हैं। यह चित्रण सीधा संकेत देता है कि ईरान अब इस युद्ध को निर्णायक बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
इसके तुरंत बाद उन्होंने इजरायल को चेतावनी देते हुए लिखा:
"हम आतंकवादी ज़ायोनी शासन को कड़ा जवाब देंगे। हम ज़ायोनियों पर किसी तरह की दया नहीं दिखाएंगे।"
इस पोस्ट के साथ यह साफ हो गया कि ईरान अब पीछे हटने के मूड में नहीं है और इजरायल के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ाई के लिए तैयार है।
युद्ध की गंभीरता और बढ़ते खतरे
ईरान और इजरायल के बीच यह संघर्ष अब छठे दिन में प्रवेश कर चुका है। बुधवार को भी दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले जारी रहे। तेल अवीव में धमाकों की आवाजें सुनी गईं। वहीं, तेहरान और करज में भी विस्फोटों की पुष्टि हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हालात इसी तरह बिगड़ते रहे तो यह युद्ध केवल दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, और चीन जैसे वैश्विक ताकतें इसमें किसी न किसी रूप में शामिल हो सकती हैं।
ट्रंप की डिमांड और उसका असर
ट्रंप की बिना शर्त सरेंडर वाली डिमांड ने तनाव को अपने चरम पर ला दिया है। एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने इस विषय में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से भी फोन पर चर्चा की है और उन्हें पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया है।
व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमेरिका न केवल मध्य पूर्व में लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ा रहा है, बल्कि सैन्य मिशनों की सक्रियता भी दोगुनी कर दी गई है।
क्या शांति की कोई संभावना है?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस संकट से कोई शांतिपूर्ण रास्ता निकल सकता है? फिलहाल इसके आसार बेहद कम नजर आ रहे हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी और अयातुल्ला खामेनेई का पलटवार बताता है कि यह संघर्ष अब केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि आस्था, प्रतिष्ठा और शक्ति की लड़ाई बन चुका है।
ईरान की चेतावनी और प्रतीकात्मक पोस्ट से यह स्पष्ट है कि वे पीछे हटने के बजाय आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं। आने वाले दिन न केवल मध्य पूर्व बल्कि पूरे विश्व के लिए निर्णायक हो सकते हैं।
अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह आग कूटनीति से बुझाई जा सकेगी या यह इतिहास में एक और बड़े युद्ध के रूप में दर्ज होगी।