मेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में हाल ही में आयोजित यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) ने भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों पर नई उम्मीदें जगाई हैं। इस मंच पर डोनाल्ड ट्रंप के कॉमर्स मिनिस्टर हॉवर्ड लुटनिक ने भारत-यूएस के बीच सैन्य साझेदारी को लेकर महत्वपूर्ण बातें कही। उन्होंने इस गठजोड़ की वर्तमान स्थिति और आने वाले भविष्य के संकेत दिए। साथ ही, उन्होंने भारत की रूस से हथियार खरीद की नीति पर भी अपनी राय साझा की, जिससे दोनों देशों के रणनीतिक और व्यापारिक संबंधों की गहराई समझ में आई। आइए इस खबर के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करें।
भारत-यूएस सैन्य डील: क्या है मौजूदा स्थिति?
हॉवर्ड लुटनिक ने USISPF के मंच से कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सैन्य उपकरण खरीद की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। उन्होंने बताया कि भारत अमेरिका से हथियार खरीदने की ओर सक्रिय रूप से बढ़ रहा है, जो दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती देने में मदद करता है। उन्होंने कहा, “जो देश पहला कदम बढ़ाता है, उसे हमेशा बेहतर डील मिलती है,” और यह बात भारत के संदर्भ में भी लागू होती है।
लुटनिक ने बताया कि भारत ब्रिक्स देशों का हिस्सा होने के नाते, सैन्य और रणनीतिक साझेदारी के लिहाज से अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों की दिशा में प्रयासरत है। यह साझेदारी केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक गठजोड़ का भी हिस्सा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच जल्द ही एक ऐसा समझौता हो सकता है, जो दोनों के लिए लाभकारी साबित होगा।
रूस से सैन्य उपकरण खरीद पर अमेरिका की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप के कॉमर्स मिनिस्टर ने साफ कहा कि भारत की रूस से हथियार खरीदना अमेरिका के लिए हमेशा चिंता का विषय रहा है। उन्होंने कहा कि “भारत ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं, जो आम तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।” उनका तात्पर्य यह था कि रूस से सैन्य उपकरण खरीदना अमेरिका के लिए रणनीतिक और राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण होता है।
भारत ने दशकों से रूस से हथियार खरीदना जारी रखा है, लेकिन अमेरिका के साथ बढ़ते रणनीतिक रिश्तों को देखते हुए यह नीति अब धीरे-धीरे बदल रही है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने सैन्य आयुध की जरूरतों को अमेरिकी उत्पादों से पूरा करे, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग और मजबूत हो सके। हालांकि, यह बदलाव एक लंबी प्रक्रिया है, क्योंकि भारत के पास रूस के साथ भी मजबूत रक्षा संबंध हैं।
ट्रंप-मोदी के बीच खास रिश्ता
हॉवर्ड लुटनिक ने डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी के बीच के विशेष रिश्ते पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि “डोनाल्ड ट्रंप ऐसे नेता हैं, जिनका चुनाव पूरे देश ने किया, ठीक उसी तरह नरेंद्र मोदी को भी भारत के लोगों ने चुनकर सत्ता सौंपी है।” यह बात इस जोड़ी को अनोखा बनाती है क्योंकि दोनों नेताओं को अपने-अपने देश में व्यापक जन समर्थन प्राप्त है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस वजह से ट्रंप-मोदी का रिश्ता खास और दुर्लभ है, जो दोनों देशों के बीच न केवल राजनीतिक बल्कि रणनीतिक सहयोग को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाता है। यह रिश्ता भारत-अमेरिका संबंधों को एक नई दिशा देने में मदद करता है, खासकर आर्थिक, सैन्य और तकनीकी क्षेत्रों में।
भारत-यूएस व्यापार और रणनीतिक सहयोग की संभावनाएं
USISPF के मंच से हॉवर्ड लुटनिक ने यह संकेत भी दिए कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और रणनीतिक साझेदारी के कई नए अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने बताया कि दोनों देश मिलकर नई तकनीक, रक्षा उत्पादन, ऊर्जा, और उच्च तकनीक उद्योगों में सहयोग कर सकते हैं। यह साझेदारी दोनों देशों के आर्थिक विकास के लिए फायदेमंद होगी।
भारत की आर्थिक वृद्धि और अमेरिका के तकनीकी व रक्षा क्षेत्र में अग्रणी होने के कारण, यह साझेदारी दोनों पक्षों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। इसके अलावा, वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में भी भारत-अमेरिका गठजोड़ चीन और रूस के प्रभाव को सीमित करने में मदद करता है।
निष्कर्ष
वॉशिंगटन डीसी में USISPF के मंच से डोनाल्ड ट्रंप के कॉमर्स मिनिस्टर हॉवर्ड लुटनिक ने भारत-अमेरिका के बीच सैन्य और रणनीतिक साझेदारी को लेकर महत्वपूर्ण संकेत दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अमेरिका से हथियार खरीदने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, जो दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगा। साथ ही, रूस से हथियार खरीदना अमेरिका के लिए चिंता का विषय है, लेकिन भारत की रणनीति और वैश्विक परिदृश्य को समझते हुए यह बदल भी सकता है।
ट्रंप-मोदी के बीच खास राजनीतिक और जन समर्थन पर आधारित रिश्ता भी इस साझेदारी को अनूठा और प्रभावशाली बनाता है। आने वाले समय में भारत और अमेरिका के बीच सैन्य, आर्थिक और तकनीकी सहयोग में तेजी आने की उम्मीद है, जो न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे वैश्विक राजनीतिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।
इस तरह के समिट और बातचीत दोनों देशों के बीच भरोसा और सहयोग को बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम हैं, जो भविष्य में भारत-यूएस रिश्तों को और मजबूती प्रदान करेंगे।