मुंबई, 06 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने के कारण आई आपदा से धराली, हर्षिल और सुखी टॉप जैसे इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और यहां सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है। अब तक पांच लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि सौ से ज्यादा लोग लापता हैं। बचाव कार्य में SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टीमें लगातार लगी हुई हैं। ITBP के प्रवक्ता कमलेश कमल ने जानकारी दी कि 400 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है जबकि सौ से अधिक अभी भी फंसे हुए हैं। सेना के 11 लापता जवानों को भी रेस्क्यू कर लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार सुबह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों के साथ राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा बैठक की। वहीं, केरल के 28 पर्यटकों का एक समूह घटना के बाद से लापता है। उनके परिजनों का कहना है कि एक दिन पहले उन्होंने गंगोत्री की यात्रा की बात की थी लेकिन लैंडस्लाइड के बाद से संपर्क टूट गया है।
धराली गांव, जो गंगोत्री तीर्थयात्रियों का एक अहम पड़ाव है, इस आपदा में बुरी तरह तबाह हो गया है। बाजार, मकान और होटल खीर गंगा नदी में बह गए। यह तबाही महज 34 सेकेंड में हुई जब पहाड़ों से भारी मलबा नदी में आ गया। धराली गांव हिमालय की दरार यानी मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर बसा हुआ है जो भूकंप का अति संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार यह गांव पहले भी कई बार बादल फटने से तबाह हो चुका है। 1864, 2013 और 2014 में भी यहां इसी तरह की त्रासदी घट चुकी है और हर बार वैज्ञानिकों ने इस गांव को दूसरी जगह बसाने की सिफारिश की थी लेकिन इसे कभी अमल में नहीं लाया गया। वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रोफेसर एसपी सती का कहना है कि धराली ट्रांस हिमालय में मौजूद है और यह इलाका मेन सेंट्रल थ्रस्ट से जुड़ा है, जो मुख्य हिमालय और ट्रांस हिमालय के बीच की दरार है। जिस पहाड़ से खीर गंगा नदी आती है उसकी ऊंचाई छह हजार मीटर है और जब भी वहां से भारी सैलाब आता है तो धराली पूरी तरह तबाह हो जाता है। करीब छह महीने पहले इस क्षेत्र में पहाड़ी का एक हिस्सा टूटकर खीर नदी में गिरा था लेकिन वह नीचे नहीं आया था। माना जा रहा है कि इस बार वही हिस्सा नीचे आकर इस विनाश का कारण बना।
इस आपदा में धराली गांव में स्थित 1500 साल पुराना कल्प केदार महादेव मंदिर भी मलबे में दब गया। यह मंदिर भागीरथी नदी किनारे स्थित था और पंच केदार परंपरा से जुड़ा हुआ था। स्थानीय लोगों की आस्था का यह सबसे बड़ा केंद्र भी इस तबाही की चपेट में आ गया। धराली गांव देहरादून से 218 किलोमीटर और गंगोत्री धाम से सिर्फ 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एक छोटा लेकिन तीर्थयात्रियों के लिए अहम पड़ाव माना जाता है जहां उन्हें ठहरने और भोजन की सुविधाएं मिलती हैं। प्रशासन के अनुसार आपदा के वक्त यहां कितने लोग मौजूद थे इसका अभी सही आकलन नहीं हो पाया है और नुकसान का मूल्यांकन जारी है।